आदिगुरु की काशी श्रद्धा से सराबोर: गुरु पूर्णिमा पर मठों-मंदिरों में लगी कतार, अघोरियों के सर्वमान्य तीर्थस्थान पर हर-हर महादेव का गगनभेदी उद्घोष
Varanasi : गुरु-शिष्य परम्परा का पावन पर्व, गुरु पूर्णिमा यूं तो पूरे भारतवर्ष में मनाया जाता है, पर देश की सांस्कृतिक राजधानी काशी में इस पर्व का नज़ारा देखते ही बनता है। इस अति आधुनिक वैज्ञानिक युग में अति प्राचीन गुरु-शिष्य परंपरा को देखना, सुनना, समझना अदभुत लगता है। काशी भगवान शिव की नगरी है।
इस शहर का कोना-कोना गुरु-पर्व पर गुलज़ार रहता है। हज़ारों मठ-मंदिरों की पनाहगाह, काशी, गुरुपूर्णिमा के अवसर पर हमें अपनी शानदार विरासत पर इतराने का एक बेहतरीन मौक़ा देती है। हालांकि, इस दिन काशी के हर मठ-मंदिर में शिष्य का गुरु के प्रति समर्पण देखते ही बनता है लेकिन कुछ जगहें काशी में ऐसी हैं जहां सिर्फ़ देश ही नहीं बल्कि विदेश के लोग भी ये दृश्य देखने के लिए आते हैं।
इन्हीं जगहों में से एक है, रविन्द्रपुरी कॉलोनी स्थित विश्वविख्यात अघोरपीठ, ‘बाबा कीनाराम स्थल, क्रीं-कुण्ड’। यहां के वर्तमान पीठाधीश्वर अघोराचाचार्य महाराजश्री बाबा सिद्धार्थ गौतम राम को अध्यात्म की दुनिया में साक्षात शिव माना जाता है।
19 जुलाई, शुक्रवार से दुनिया के अघोरियों के सर्वमान्य तीर्थस्थान, ‘क्रीं-कुण्ड’ पर देश और दुनिया के श्रद्धालु-भक्तजन का जमावाड़ा लगना शुरू हो गया था। सबके अन्दर सिर्फ़ एक ही लालसा थी कि शिव रुप अपने गुरु बाबा सिद्धार्थ गौतम राम जी का दर्शन-पूजन करना। 21 जुलाई, रविवार को सुबह 4 बजे से ही आश्रम परिसर के बाहर लम्बी कतार में लोग अनुशासनबद्ध होकर गुरु के आसन पर विराजमान होने का इंतज़ार कर रहे थे।
सुबह 8 बजे जैसे ही अघोराचार्य महाराजश्री अपने कक्ष से बाहर निकले, हर-हर महादेव के गगनभेदी उद्घोष से पूरा परिसर गूंज उठा। परिसर में स्थित अघोराचार्य महाराजश्री बाबा कीनारामजी तथा अघोरेश्वर महाप्रभु अवधूत भगवान रामजी सहित सभी 55-60 समाधियों के पूजन-दर्शन के बाद जब अघोराचार्य अपने औघड़ तख़्त पर आसीन हुए तो ढोल-डमरू, नगाड़े-शंख के साथ हर-हर महादेव का उद्घोष जारी रहा।
क़तारबद्ध भक्तों ने बड़े ही अनुशासन के साथ गुरु के चरणों में पुष्पांजलि अर्पित कर शीश नवाया और उसके बाद प्रसाद ग्रहण किया। मीडिया प्रभारी संजय सिंह ने बताया कि गुरु दर्शन-पूजन और प्रसाद ग्रहण का ये सिलसिला देर शाम तक चलता रहा। उधर, हज़ारों की भीड़ को नियंत्रित करने के लिये प्रशासन ने भी क़मर कस लिया था।
वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी अपने मातहतों के ज़रिये लगातार स्थिति पर नज़र बनाए हुए थे। आश्रम परिसर के बाहर सैकड़ों की संख्या में दुकानें लगी हुई थीं और लोग गुरु दर्शन के बाद इन दुकानों से खरीददारी करते नज़र आये।